कुछ ज़ख्म मेरे भी थे ....
मगर तूने उसे कभी देखे ही नहीं .....
कुछ आवाज़ मेरी भी थी ......
मगर तूने कभी उसे सुनी ही नहीं .......
कुछ सपने मेरे भी थे .......
मगर तूने कभी समझे ही नहीं ........
था वीराना मेरे दिल के अंदर भी ......
मगर तूने उसे कभी देखा ही नहीं ....
ना बता सके हम तो क्या .....
तूने भी कभी उसे समझा ही नहीं .....
कैसे सच बताएं तुम्हे भी हम अपना .....
तुम कभी उतने पास आये ही नहीं ......
कुछ ज़ख्म मेरे भी थी .....
मगर तूने उसे कभी देखे ही नहीं ....
तूने कभी उसे देखे ही नहीं .....
-----<>-----
हेतल जोशी
0 टिप्पणियां