नदिया सी भटकती रहती मै सागर सा मचल जाता है तू.. !! तेरे बातों कि इस गहराई मे कुछ सच है, पर ज्याद…
और पढ़ेंहो चाहे कैसी भी घड़ी, आंधी तूफ़ान की लगी हो लड़ी, या मन को झुलसा रही हो अग्नि, डर हो यदि आगे हार जाने…
और पढ़ेंजहाँ ,गलत को सही ,और ,सही को दबा देने का प्रयास हो रहा है ! वे कहते हैं ,साक्षरता बढ़ रही है । समाज …
और पढ़ेंउसने हमें जीवन दिया ताकि हम उसकी बनाई दुनिया को और खुबसूरत बनाए । हमने उसी जीवन को किसी और लक्ष्य …
और पढ़ेंचांदनी फिल्म आ रही थी टीवी पर एड के दौरान मै खड़ी हुई और अपना पर्स थामे बाहर निकल गयी. बाहर बड़ा स…
और पढ़ेंचाँद, अब तो नजर आ। अब छतरी हटा।। क्यूँ छुप गया है यह, गिले शिकवे मिटा। चाँद,…
और पढ़ेंयूँ ही, जज्बात दिखलाना? मेरी क्या औकात है! मैं तो लिखता हूँ बेखौफ। जमाने के दर्…
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